Mahakumbh 2025: महाकुंभ स्पेशल ‘सत्य सनातन’ कॉन्क्लेव में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, जानें क्या बोले – India TV Hindi

Mahakumbh 2025: महाकुंभ स्पेशल ‘सत्य सनातन’ कॉन्क्लेव में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, जानें क्या बोले – India TV Hindi


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स्वामी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ स्पेशल ‘सत्य सनातन’ कॉन्क्लेव में जगतगुरु स्वामी शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में उन्हें काफी अच्छा लग रहा है। ये धरती आध्यात्मिक ऊर्जा से भरी रही है। यहां जो आए उसे कोई कष्ट नहीं होता है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से पूछा गया कि लोगों को महाकुंभ में क्यों जाना चाहिए? इस पर उन्होंने कहा कि जैसे अपना शरीर है वह महत्वपूर्ण है लेकिन उसके कुछ अंग विशेष होते हैं, इसी तरह से कोई कालखंड विशेष होता है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में जो आध्यात्मिक काम किया जाता है वो विशेष होता है यहां आने से विशेष अनुभूति होती है।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि उनके शिविर में 324 कुंड का यज्ञ मंडप बनाया गया है। वहां गौ प्रतिष्टा महायज्ञ हो रहा है। इसका उद्देश्य है कि हिंदू के माथे पर सबसे बड़ा कलंक गौहत्या का है। हम करोड़ों की संख्या में हैं लेकिन गौ हत्या हो रही है। इस पाप बोध को मिटाने के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करना है। इसमें सवा 2 करोड़ आहूति डाली जाएगी।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया है कि शंकराचार्य के पद पर होने के नाते सनातनियों का मार्गदर्शन करना हमारा कर्तव्य है। इसलिए शिविर में धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है। संसद भवन लगभग तैयार है और परसों से उसकी कार्यवाही शुरू होगी। 27 दिन तक शिविर में सत्र चलेगा। सनातनियों की जो भी समस्या है उनपर चर्चा कर के प्रतिदिन एक धर्मादेश जारी किया जाएगा जिससे लोगों का मार्गदर्शन होगा।

हम लोगों ने पब्लिक प्लेटफॉर्म से लोगों से समस्याओं की जानकारी मांगी है। लोग हमें अपनी समस्याएं बता रहे हैं और हम उसकी लिस्ट बना रहे हैं। अभी भी जब संसद चलती रहेगी उसका सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण होगा। समस्याएं प्रकाश में आएगी उसपर धर्मशास्त्र के अनुसार मार्गदर्शन किया जाएगा। आधुनिकता से हमें बैर नहीं है लेकिन परंपराओं को संजो के रखना चाहिए।

महाकुंभ की जमीन को वक्फ की जमीन बताए जाने के बारे में शंकराचार्य ने कहा कि इसे भी धर्म संसद में उठाया जाएगा। हमारी प्रयाग की इस पुण्य भूमि है उसमें वक्फ के लोगों की भूमि कहां से आएगाी। अगर वो वक्फ की गई है तो उसका प्रयोग कब हुआ इसका प्रमाण अब तक क्यों नहीं दिखाया गया। धर्म संसद में इस मुद्दे पर व्यापक मार्गदर्शन किया जाएगा। जो हमसे बड़े दिल की अपेक्षा रख रहे हैं उन्हें हमीरी समस्या समझनी चाहिए। हमारा कुंभ हर 12 साल में होता है। पिछले 1-2 साल से सोशल मीडिया पर ऐसे चित्र व्याखान आए जिससे सामने आया कि मुस्लिम खाने की चीजों पर थूक देते थे। किसी मुस्लिम धर्मगुरु द्वारा इस बात का खंडन नहीं किया गया न ही कोई कड़ा कदम उठाया गया। इसी बीच वहां की एक न्यायालय में एक मुद्दा आया उसमें कहा गया है भोजन में थूकना हमारे लिए सुन्नत है। लेकिन हमारे लिए ये अपवित्र है। अपनी पवित्रता को बचाने के लिए हमें कड़ाई करनी होगी। यहां सवाल मुस्लिम का नहीं बल्कि पवित्रता का है।

मक्का मदीना में 40 किमी दूर से अन्य धर्मों के लोगों को रोक दिया जाता है। फिर उन्हें हमारे यहां क्यों आना है। अगर वो हिंदुओं को दरगाहों और मजारों पर जाने से रोक दे तो वह अच्छी बात है। हमारी शुद्धता बनी रहेगी। वो जितनी जल्दी ऐसा कर दें वो बेहतर है। अगर सेक्युलरिज्म का मतलब ये है कि हिंदू-हिंदू न रहे और मुसलमान-मुसलमान नहीं तो ये मंजूर नहीं है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने आगे ये भी कहा कि आज न न राम-राम रहा न खुदा-खुदा।

 

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