सेहतनामा- कहीं आपके सिर में जूं तो नहीं: जूं नहीं फैलाती कोई बीमारी, सिर में पड़ जाए तो क्या करें, जानें बचाव के तरीके

सेहतनामा- कहीं आपके सिर में जूं तो नहीं:  जूं नहीं फैलाती कोई बीमारी, सिर में पड़ जाए तो क्या करें, जानें बचाव के तरीके


2 दिन पहलेलेखक: गौरव तिवारी

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बचपन में कभी सिर पर जूं हुई है? ऐसी खुजली होती थी कि सिर खुजलाते-खुजलाते कई बार स्कैल्प की खाल तक निकल जाती थी। इस कारण से खून की पपड़ी जम जाती और फिर उसका दर्द और चिड़चिड़ाहट।

प्रसिद्ध जर्नल ‘स्प्रिंगर नेचर’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, सिर में जूं के कारण हुआ इन्फेक्शन यानी पेडिक्युलोसिस (Pediculosis) वैश्विक समस्या बन रहा है। इससे दुनिया की बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है। रिसर्चर्स इसके पीछे सेल्फी के समय हेड-टू-हेड संपर्क को जिम्मेदार मान रहे हैं। उत्तरी अमेरिका और यूरोप के जूं निकालने वाले क्लिनिक्स का भी दावा है कि बीते कुछ सालों में उनके यहां जूं निकलवाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या कई गुना बढ़ गई है।

यूं तो जूं की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन यह बच्चों में अधिक आम है। आमतौर पर 3 से 11 साल के बच्चों में अक्सर यह समस्या देखने को मिलती है।

यह जूं का ही मौसम चल रहा है। भारत में सितंबर खत्म होने के साथ ही पतझड़ शुरू हो जाता है। यह दिसंबर तक चलता है। जूं पनपने के लिए यह सबसे मुफीद मौसम है।

इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे जूं की। साथ ही जानेंगे कि-

  • जूं अक्सर बच्चों के सिर पर क्यों होती है?
  • सिर में जूं होने से क्या खतरा हो सकता है?
  • अगर जूं हो गई है तो इसका इलाज क्या है?

हमारे स्कैल्प में चिपकी रहती हैं जूं

अगर जूं के बारे में नहीं जानते हैं तो ऐसे समझिए कि ये छोटे, रेंगने वाले कीड़े हैं। इनके पंख नहीं होते हैं। ये हमारे सिर के बालों में रहती हैं। जूं हमारे सिर से खून चूसती हैं, यही इनका भोजन है। ये तेजी से अपना कुनबा बढ़ाती रहती हैं। ये अंडे देती हैं, जिन्हें निट्स (लीख) कहा जाता है। ये हमारे स्कैल्प में चिपकी रहती हैं। इनके कारण हुए इन्फेक्शन को पेडिक्युलोसिस कहते हैं।

अक्सर छोटे बच्चों को क्यों होती है जूं की समस्या?

जूं किसी के भी सिर पर हो सकती हैं। इनके बारे में अक्सर कहा जाता है कि जूं कभी कोई आर्थिक-सामाजिक भेदभाव नहीं करती हैं। हालांकि यह भी सच है कि आमतौर पर यह समस्या 3 से 11 साल के बच्चों में ज्यादा देखने को मिलती है।

दिल्ली के श्रीबालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. विजय सिंघल कहते हैं कि बच्चों की लाइफस्टाइल ही ऐसी होती है कि उनके सिर में जूं हो जाती हैं। खेलते समय बच्चों का हेड-टू-हेड कॉन्टैक्ट होता है। वे स्कूल में या गेम्स में एक-दूसरे से अपनी चीजें शेयर करते हैं। इस दौरान जूं आसानी से एक-दूसरे के सिर में चली जाती हैं। एक बड़ी वजह यह भी है कि जूं बच्चों की खाल से आसानी से खून चूस पाती हैं। इसलिए वे उनके सिर पर तेजी से पनपती हैं।

किसी के सिर में कितने दिन तक जिंदा रहती हैं जूं?

जूं की औसत उम्र 33 दिन होती है। हालांकि कुछ जूं 35 दिन तक भी जीवित रहती हैं। मेडिकेटेड शैंपू या लोशन लगाने के बाद जूं कितने दिन तक जीवित रहेंगी, यह इस इस बात पर निर्भर करता है कि आपके बालों में कितनी जूं हैं। अगर सही ट्रीटमेंट लिया जाए तो ये 2 से 3 सप्ताह के भीतर सिर से पूरी तरह गायब हो जाती हैं।

अगर आप चाहते हैं कि जूं जल्दी-से-जल्दी खत्म हो जाएं तो शैम्पू, लोशन या क्रीम पर दिए गए निर्देशों का सही तरीके से पालन करें।

ग्राफिक में देखिए सिर में जूं का जीवन चक्र:

कैसे पता चलेगा कि बालों में जूं हैं?

जूं होने का सबसे आम लक्षण खुजली है। विशेष तौर पर गर्दन के पीछे और कानों के पास बाल में जूं होने की अधिक संभावना होती है। इसलिए खुजली भी यहीं पर अधिक होती है।

अगर बच्चा सोने से पहले रात में बार-बार सिर खुजला रहा है तो इस बात की बहुत संभावना है कि उसके सिर में जूं हैं। दिन की रोशनी में सिर को करीब से देखने पर सफेद रंग की लीखें दिख सकती हैं। ये देखने में डैंड्रफ जैसी लगती हैं, जबकि ये लीखें हैं यानी जूं के अंडे। अगर और कन्फर्मेशन चाहिए तो महीन कंघी की मदद से भी कुछ जूं निकालकर देख सकते हैं।

जब इस बात की पुष्टि हो जाए कि सिर में जूं हैं तो ओवर-द-काउंटर मेडिकेटेड शैंपू या लोशन खरीदकर बालों में लगा सकते हैं। यह इसलिए अधिक जरूरी है क्योंकि बच्चों के सिर की खाल मुलायम होती है। खुजली करने से यह जल्दी बाहर निकल जाती है तो इन्फेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है।

दूसरी वजह ये भी है कि जूं की खुजली के कारण बच्चों की नींद प्रभावित हो सकती है। इसका असर उनकी पढ़ाई और दैनिक कामकाज पर पड़ता है।

जूं एक-दूसरे के सिर में कैसे फैलती हैं?

सिर की जूं उड़ नहीं सकती हैं, ये जंप भी नहीं कर पाती हैं। ये सिर्फ रेंग सकती हैं। इसलिए ये आमतौर पर बहुत निकट संपर्क के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के सिर में रेंगकर फैलते हैं। कई बार ये तौलिया, चादर, कंघी या टोपी के जरिए भी फैल सकती हैं।

डॉ. विजय सिंघल कहते हैं कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है कि पालतू जानवरों के शरीर पर पाए जाने वाली जूं जैसी इंसेक्ट इंसान के बालों में फैल जाती हैं। सच ये है कि इंसानों और जानवरों की जूं एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होती हैं।

इस बात में भी कोई दम नहीं है कि जूं हाइजीन मेन्टेन नहीं रखने से पनपती हैं। जूं सिर्फ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती हैं। ऐसा जरूर हो सकता है कि गंदे सिर में जूं को छिपे रहने में मदद मिलती है।

अगर आपके या बच्चे के सिर में जूं हैं तो क्या-क्या हो सकता है?

आपके लिए सबसे अधिक राहत देने वाली बात ये है कि जूं खुद कोई बीमारी नहीं फैला सकती हैं। हालांकि ये सिर में खुजली पैदा कर सकती हैं। बार-बार खुजली करने से आपके सिर की त्वचा निकल सकती है, जिसके कारण संक्रमण हो सकता है।

जूं का इलाज कैसे किया जाता है?

आमतौर पर जूं होने पर डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके लिए मेडिकेटेड शैंपू, लोशन या क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। शैंपू में पाइरेथ्रिन या पर्मेथ्रिन नाम के सब्सटेंस होते हैं, जो जूं और लीख को मार देते हैं। शैंपू में लिखे इंस्ट्रक्शन ध्यान से फॉलो करें।

जूं से बचाव कैसे करें?

जूं से बचाव का सबसे अच्छा उपाय ये है कि दूसरों के साथ कंघी, ब्रश, तौलिये या टोपी शेयर न करें। अगर किसी व्यक्ति के सिर में जूं हैं तो उसके बहुत निकट संपर्क से बचें। घर पर कंघी आदि इस्तेमाल करने बाद इसे 10 मिनट तक गर्म पानी में भिगोएं।

बच्चों को जूं के बारे में बताएं और इस बारे में सावधानी रखने की सलाह दें। जैसेकि–

  • बच्चों को बताएं कि वे खेलते समय हेड-टू-हेड संपर्क से बचें।
  • अपनी टोपी या सिर पर रखने वाली चीजें दूसरों के साथ शेयर न करें।

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