रुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आया: पिछले 6 महीने में यह सबसे बड़ी गिरावट; इससे इंपोर्ट महंगा होगा, चीजें महंगी होंगी

रुपया 33 पैसा गिरकर 85.59 के निचले स्तर पर आया:  पिछले 6 महीने में यह सबसे बड़ी गिरावट; इससे इंपोर्ट महंगा होगा, चीजें महंगी होंगी


नई दिल्ली8 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

रुपए में आज यानी शुक्रवार (27 दिसंबर) को डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट देखने को मिली। दिनभर के कारोबार के बाद ये 33 पैसा गिरकर अपने सबसे निचले स्तर 85.59 के पर बंद हुआ।

कारोबार के दौरान तो इसमें 55 पैसे की गिरावट रही थी। गुरुवार (26 दिसंबर) को डॉलर के मुकाबले यह 85.26 रुपए के स्तर पर बंद हुआ था।

बीते 6 महीने में यह सबसे बड़ी गिरावट

इस साल किसी एक दिन में रुपए में यह सबसे बड़ी गिरावट है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के नतीजे के दिन यानी 4 जून को रुपया 44 पैसा गिरकर 83.50 पर आ गया था। जून को रुपया 83.06 के स्तर पर बंद हुआ था।

इस साल डॉलर के मुकाबले 2.40 कमजोर हुआ रुपया

इस साल डॉलर के मुकाबले रुपया 2.40 रुपए कमजोर हुआ है। 1 जनवरी 2024 को रुपया 83.20 के स्तर पर था, जो साल के अंत यानी आज 85.59 रुपए के स्तर पर आ गया है।

डॉलर में मजबूती और क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों के चलते

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह गिरावट डॉलर में मजबूती और क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों के चलते आई है। फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स ने भारतीय रुपया में आई गिरावट की पीछे की वजह अमेरिकी डॉलर की मजबूत डिमांड और जियो- पॉलिटिकल अनिश्चितताओं की वजह से क्रूड ऑयल के दामों में बढ़ोतरी को बताया है।

दरअसल, बीते सप्ताह अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की ओर से साल 2025 में दो बार ब्याज दरों में कटौती की। इसके बाद डॉलर इंडेक्स को मजबूती मिली है, जो 0.38 प्रतिशत बढ़कर 107.75 पर पहुंच गया।

रुपए में गिरावट से इंपोर्ट करना महंगा होगा

रुपए में गिरावट का मतलब है कि भारत के लिए चीजों का इंपोर्ट महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 50 थी तब अमेरिका में भारतीय छात्रों को 50 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए छात्रों को 85.06 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना और खाना और अन्य चीजें महंगी हो जाएंगी।

करेंसी की कीमत कैसे तय होती है?

डॉलर की तुलना में किसी भी अन्य करेंसी की वैल्यू घटे तो उसे मुद्रा का गिरना, टूटना, कमजोर होना कहते हैं। अंग्रेजी में करेंसी डेप्रिशिएशन। हर देश के पास फॉरेन करेंसी रिजर्व होता है, जिससे वह इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करता है। फॉरेन रिजर्व के घटने और बढ़ने का असर करेंसी की कीमत पर दिखता है।

अगर भारत के फॉरेन रिजर्व में डॉलर, अमेरिका के रुपयों के भंडार के बराबर होगा तो रुपए की कीमत स्थिर रहेगी। हमारे पास डॉलर घटे तो रुपया कमजोर होगा, बढ़े तो रुपया मजबूत होगा। इसे फ्लोटिंग रेट सिस्टम कहते हैं।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Skip to content