‘मेरे दिल में पत्रकारों के लिए इज्जत बढ़ी’: फिल्म देवा में इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट बनीं पूजा हेगड़े; कहा- यह जॉब जोखिम भरा

‘मेरे दिल में पत्रकारों के लिए इज्जत बढ़ी’:  फिल्म देवा में इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट बनीं पूजा हेगड़े; कहा- यह जॉब जोखिम भरा

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नई दिल्ली23 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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एक्ट्रेस पूजा हेगड़े फिल्म देवा में एक अलग रोल में नजर आएंगी। फिल्म में उनका किरदार एक इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट का है। इस फिल्म की शूटिंग मुंबई के मझगांव और डोंगरी जैसे इलाके में भी हुई है। पूजा के लिए यहां शूटिंग करना इमोशनल मोमेंट जैसा था। दरअसल, मझगांव में पूजा के पिता का जन्म हुआ था। परिवार की जड़े यहीं से हैं।

पूजा हेगड़े से बातचीत पढ़िए.. सवाल- पूजा, फिल्म में आप इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट बनी हैं, इसके लिए कितना रिसर्च किया? जवाब- मैंने जर्नलिज्म वाले सब्जेक्ट पर बनी कई फिल्में देखी हैं। जर्नलिस्ट काम कैसे करते हैं, समझ में आता है। फिल्म में मेरा किरदार एक खास मकसद के लिए रखा गया है।

यह फिल्म करने के बाद मेरे दिल में खासकर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट के लिए इज्जत बढ़ गई है। कैसे वे जान जोखिम में डालकर अपना काम करते हैं, कैसे लोगों को डील करते हैं, इसकी सराहना होनी चाहिए।

पूजा हेगड़े ने बॉलीवुड में ऋतिक रोशन की फिल्म मोहन जोदारो से डेब्यू किया था।

पूजा हेगड़े ने बॉलीवुड में ऋतिक रोशन की फिल्म मोहन जोदारो से डेब्यू किया था।

सवाल- शाहिद जैसे सिक्योर, टैलेंटेड और गुड लुकिंग एक्टर के साथ काम करना कैसा रहा, केमेस्ट्री कैसी रही? जवाब- हमारी केमेस्ट्री कैसी रही, ये तो आप लोग बताएंगे न? केमेस्ट्री हमें नहीं ऑडियंस को दिखती है। हमारा जोर बस इस बात पर होता है कि कैसे हमारे सीन्स दर्शकों को प्रभावित कर सकें। शाहिद डांस बहुत अच्छा करते हैं, साथ ही काफी फन लविंग हैं। एक्टिंग में काफी हेल्प भी करते हैं। उनके साथ काम करके काफी मजा आया।

शूटिंग के दौरान शाहिद और पूजा की एक तस्वीर।

शूटिंग के दौरान शाहिद और पूजा की एक तस्वीर।

सवाल- फिल्म करते वक्त सबसे खूबसूरत और चैलेंजिंग बात क्या रही? जवाब- सबसे खूबसूरत बात यह थी कि हमने मुंबई के मझगांव और डोंगरी जैसे इलाके में शूटिंग की थी, यहां मेरे पिता का जन्म हुआ था। उस एरिया में शूट करना मेरे लिए एक पर्सनल मोमेंट जैसा था।

जहां तक चैलेंज की बात है तो कुछ सीन्स ऐसे थे, जिन्हें शूट करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। कुछ सीन्स ऐसे थे, जिनमें कन्फ्यूजन भी क्रिएट करना था, साथ ही भावनाएं भी दिखानी थीं। इन सीन्स को शूट करते वक्त मेरे दिमाग में कई चीजें चल रही थीं।

हालांकि, फिल्म के डायरेक्टर रौशन एंड्रूज सर ने इसमें मेरी काफी मदद की। उन्होंने हिदायत दी थी कि उन्हें स्क्रीन पर पूजा नहीं, दिया (कैरेक्टर का नाम) दिखनी चाहिए।

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