मूवी रिव्यू- बैडएस रवि कुमार: स्टैच्यूटरी वॉर्निंग: दिमाग घर रखकर जाएं, नहीं तो हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे! ये स्पूफ नहीं, सच में फिल्म है!

मूवी रिव्यू- बैडएस रवि कुमार:  स्टैच्यूटरी वॉर्निंग: दिमाग घर रखकर जाएं, नहीं तो हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे! ये स्पूफ नहीं, सच में फिल्म है!


8 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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म्यूजिक डायरेक्टर- सिंगर और एक्टर हिमेश रेशमिया की फिल्म ‘बैडएस रवि कुमार’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में हिमेश रेशमिया के साथ सिमोना जे, कीर्ति कुल्हारी, सनी लियोनी, सौरभ सचदेवा, जॉनी लीवर, प्रभु देवा और संजय मिश्रा की अहम भूमिका है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 21 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार की रेटिंग दी है।

फिल्म की कहानी कैसी है?

यह फिल्म 80 के दशक में सेट की गई है। एक सीक्रेट रील में भारत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी है, जिसे पाकिस्तान हासिल करना चाहता है। इसे रोकने के लिए रवि कुमार (हिमेश रेशमिया) सामने आता है। वह एक बोल्ड और बैडएस पुलिसवाला है। इस दौरान उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। फिल्म की कहानी में कुछ ऐसे ट्विस्ट आते हैं, जिसे देखने के बाद दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाते हैं।

स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है?

इस फिल्म में हिमेश ने न केवल ‘खतरनाक’ एक्टिंग की है, बल्कि प्रोड्यूसर, म्यूजिक डायरेक्टर, सिंगर, स्क्रीनप्ले राइटर और लिरिक्स राइटर की जिम्मेदारी भी उठाई है। यानि कि इस फिल्म में हिमेश वन मैन आर्मी की तरह दिखे हैं। उनके बेमिसाल डायलॉग्स जैसे ‘जो खड़ा है वो रवि कुमार है’ सुनते ही आपको एहसास होगा कि सिनेमा में ‘मास’ के मायने बदल गए हैं। उन्होंने एक्शन भी ऐसा कि इंडस्ट्री के तीनों खान, अक्षय कुमार और सनी देओल का एक्शन भी फैल, मतलब हिमेश का रवि कुमार का अवतार ना भूतो ना भविष्यती। प्रभु देवा ने कार्लोस पेड्रो पैंथर बनकर ऐसा स्टाइल दिखाया है जो उन्हें क्यूट विलेन बनाता है। कीर्ति कुल्हारी, सनी लियोनी और सिमोना ने स्क्रीन पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। संजय मिश्रा, जॉनी लिवर जैसे कॉमेडियन के रहते हुए भी इस फिल्म में सबसे ज्यादा हिमेश रेशमिया ने हंसाया है।

फिल्म का डायरेक्शन कैसा है?

फिल्म के डायरेक्टर कीथ गोम्स ने हिमेश रेशमिया को इस फिल्म में ऐसे अंदाज में पेश किया है। जिसमें वह आज तक नहीं दिखे है। चाहे उनका एक्शन अवतार हो या फिर कॉमिक अंदाज। डायलॉग राइटर बंटी राठौर ने ऐसे डायलॉग्स लिखे हैं कि आप सोचेंगे कि ये गंभीरता से लिखा गया है या जान-बूझकर कॉमेडी करने के लिए। यह फिल्म देखकर 2009 में एक फिल्म ‘ढूंढते रह जाओगे’ की याद आती है। जिसमें परेश रावल और कुणाल खेमू ने पैसा डुबोने वाली फिल्म बनाने की कोशिश की थी, पर गलती से हिट हो गई। लगता है वो प्लॉट 2025 में हिमेश रेशमिया ने बैडएस रवि कुमार से साकार कर दिया है। फर्क बस इतना है कि यहां गलती से भी ये फिल्म हिट न हो जाए इसकी गारंटी खुद दर्शकों ने ले ली है।

फिल्म का म्यूजिक कैसा है?

इस फिल्म का संगीत सदियों तक याद रखा जाएगा! या शायद नहीं, लेकिन हिमेश रेशमिया ने बैकग्राउंड म्यूजिक में 80 के दशक का जो तड़का दिया है वो आपके कानों से घुसते हुए शरीर में सिहरन पैदा कर देगा। ट्रैक्स जैसे दिल के ताजमहल में, तंदूरी डेज और बाजार-ए-इश्क सुनकर ऐसा लगता है मानो प्लेलिस्ट खुद हिमेश के जैकेट्स से इंस्पायर हुई हो।

फिल्म का फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं

अगर आपका दिन खराब है और आपको कुछ ऐसा देखना है जो दिमाग की सारी टेंशन उड़ा दे, तो ये फिल्म आपके लिए है। हिमेश रेशमिया की बहादुरी को सलाम करने और उनकी अनोखी कला को सराहने के लिए एक बार इसे देख ही लीजिए।



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