महाराष्ट्र में GBS के मरीजों की संख्या बढ़ी, जानें कितने मरीज अस्पताल में भर्ती – India TV Hindi

महाराष्ट्र में GBS के मरीजों की संख्या बढ़ी, जानें कितने मरीज अस्पताल में भर्ती – India TV Hindi

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GBS के मरीजों की संख्या बढ़ी।

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GBS के मरीजों की संख्या बढ़ी।

मुंबई: महाराष्ट्र में ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ (जीबीएस) के मामलों में लगातार बढोतरी दर्ज की जा रही है। हाल ही में मुंबई में भी जीबीएस का पहला मामला सामने आया था। 9 फरवरी तक राज्य में जीबीएस बीमारी से संक्रमित संदिग्धों की कुल संख्या 184 तक पहुंच गई है। वहीं जिन मरीजों में GBS की पुष्टि हुई है, उनकी संख्या 155 तक है। इसके अलावा GBS के कारण हुई संदिग्ध मृत्यु की कुल संख्या 6 तक पहुंच गई है, जबकि GBS के कारण ही मृत्यु हुए मरीज की संख्या एक है। बता दें कि महाराष्ट्र में अब तक 89 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया है। वहीं 47 मरीज ICU में जबकि 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।

मुंबई में भी दर्ज हुआ पहला केस

इससे पहले महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में शुक्रवार को ‘गुइलेन-बैरे सिंड्रोम’ यानी कि GBS का पहला मामला सामने आया। बृहन्मुंबई नगर निगम यानी कि BMC के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, मुंबई में 64 वर्षीय महिला इस दुर्लभ तंत्रिका विकार से संक्रमित पाई गई। BMC के आयुक्त और राज्य द्वारा BMC के लिए नियुक्त किए गए प्रशासक भूषण गगरानी ने 64 वर्षीय महिला में रोग की पुष्टि की और बताया कि GBS रोग से ग्रसित इस मरीज का वर्तमान में नगर निगम द्वारा संचालित एक अस्पताल के ICU में इलाज किया जा रहा है। BMC अधिकारियों ने बताया कि शहर के अंधेरी पूर्व क्षेत्र की रहने वाली महिला को बुखार और दस्त के बाद लकवाग्रस्त हो जाने की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

क्या हैं जीबीएस के लक्षण?

बता दें कि महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) बीमारी की दहशत देखने को मिल रही है। पहले राज्य के पुणे से ही गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामले सामने आ रहे थे। हालांकि,  पुणे के बाद अब नागपुर और मुंबई में भी इस बीमारी के मरीज बढ़ रहे हैं। GBS एक दुर्लभ विकार है, जिसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता परिधीय तंत्रिका पर हमला करती है, जिससे शरीर के हिस्से अचानक सुन्न पड़ जाते हैं। इसकी वजह से मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और कुछ निगलने या सांस लेने में भी दिक्कत होती है। GBS के गंभीर मामलों में मरीज पूरी तरह लकवाग्रस्त तक हो सकता है।

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