महाकुंभ भगदड़ मामला: ममता सरकार ने बंगाल के तीर्थयात्रियों के लिए हेल्पडेस्क बनाया – India TV Hindi

महाकुंभ भगदड़ मामला: ममता सरकार ने बंगाल के तीर्थयात्रियों के लिए हेल्पडेस्क बनाया – India TV Hindi

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Mamata Banerjee

Image Source : PTI
ममता बनर्जी

महाकुंभ में हुई भगदड़ में पश्चिम बंगाल के कम से कम चार लोगों की मौत हो जाने और कई अन्य के लापता हो जाने के बाद ममता बनर्जी सरकार ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में स्नान के लिए पहुंचे अपने राज्य के लोगों के लिए शनिवार को एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य आपदा प्रबंधन और ‘सिविल डिफेंस’ द्वारा एक नियंत्रण कक्ष के माध्यम से संचालित ‘हेल्पडेस्क’ की स्थापना लोगों को किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में सातें दिन 24 घंटे सहायता प्रदान करने के लिए की गई है। 

अधिकारी ने बताया, ‘‘महाकुंभ मेले में राज्य से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री जा रहे हैं। उनकी सहायता के लिए तथा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन एवं ‘सिविल डिफेंस’ ने हेल्पलाइन नंबर (033) 2214-3526 तथा टोल-फ्री नंबर 1070 के साथ 24×7 नियंत्रण कक्ष की शुरुआत की है।’’ महाकुंभ मेले में मची भगदड़ में पश्चिम बंगाल के कम से कम चार तीर्थयात्रियों की मौत हो गई है जबकि नौ व्यक्ति लापता हैं। 

सरकार महाकुंभ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं के आंकड़े भी दे- अखिलेश

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को पेश आम बजट को किसान, नौजवान और गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार बजट के आंकड़े के साथ महाकुंभ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं के आंकड़े भी दे। वहीं, यादव ने महाकुंभ की व्यवस्था और खोया-पाया केन्द्र को सेना के हवाले करने की मांग करते हुए कहा कि भाजपा सरकार पर किसी को भरोसा नहीं है। अखिलेश ने एक बयान में कहा, ‘‘इस सरकार के पास देश की जनता के लिए कोई दृष्टिकोण नहीं है। बजट किसान, नौजवान और गरीब विरोधी है। केंद्र सरकार बजट के आंकड़े के साथ महाकुंभ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं के आंकड़े भी दे।’’ 

अखिलेश ने कहा, ‘‘आज बजट के आंकड़ों से ज्यादा जरूरी महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना में मरने वाले, घायल होने वाले और लापता होने वाले लोगों का आंकड़ा है। सरकार इन आंकड़ों को क्यों छिपा रही है?’’ अखिलेश ने कहा, “बजट में महंगाई और बेरोजगारी कम करने की कोई योजना पेश नहीं की गई है। इसमें किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें फसलों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी देने की बात नहीं कही गई है।” (इनपुट- पीटीआई भाषा)

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