मंदिर-मस्जिद पर मोहन भागवत की टिप्पणी पर रामभद्राचार्य ने जताई नाराजगी, कही ये बात – India TV Hindi

मंदिर-मस्जिद पर मोहन भागवत की टिप्पणी पर रामभद्राचार्य ने जताई नाराजगी, कही ये बात – India TV Hindi

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Rambhadracharya

Image Source : PTI
जगद्गुरु रामभद्राचार्य

नई दिल्ली: मंदिर मस्जिद को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि मोहन भागवत ने ये अच्छा नहीं कहा। रामभद्राचार्य ने कहा कि मोहन भागवत तुष्टिकरण से प्रभावित हो गए हैं।

रामभद्राचार्य ने और क्या कहा?

संभल हिंसा पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, ‘मोहन भागवत वहां (संभल में) हुई हिंसा और हिंदुओं के खिलाफ जारी अत्याचार के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं। ऐसा लगता है कि वह किसी प्रकार की तुष्टिकरण की राजनीति से प्रभावित हैं।’

मोहन भागवत की ‘मंदिर-मस्जिद’ टिप्पणी पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘यह उनकी निजी राय है। उन्होंने कुछ भी अच्छा नहीं कहा। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।’

रामभद्राचार्य ने मोहन भागवत की आलोचना करते हुए कहा, ‘हिंदुत्व के आधार पर ही संघ बना है। जहां हमारे मंदिर के अवशेष मिल रहे हैं, वहां हम लेंगे। जहां नहीं मिलेंगे, वहां नहीं लेंगे। एक यहूदी को कोई मार देता है तो इजरायल एक्शन ले लेता है। हजारों हिंदू मारे जा रहे हैं, सरकार कुछ नहीं कर रही है। सरकार को चाहिए कि वह बांग्लादेश से कठोरता से निपटे। भागवत का बयान अनुचित है। वह हमारे अनुशासक रहे हैं। वह संघ के सर संघचालक हो सकते हैं, हमारे तो नहीं हैं।’ 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल हालही में मोहन भागवत ने कई मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा था कि हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा है यह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। संघ प्रमुख ने समावेशी समाज की वकालत करते हुए कहा था कि दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि देश सद्भावना के साथ एक साथ रह सकता है। भारतीय समाज की बहुलता को रेखांकित करते हुए भागवत ने कहा कि रामकृष्ण मिशन में क्रिसमस मनाया जाता है। उन्होंने यह भी कहा था कि केवल हम ही ऐसा कर सकते हैं क्योंकि हम हिंदू हैं। 

उन्होंने कहा था कि हम लंबे समय से सद्भावना से रह रहे हैं। अगर हम दुनिया को यह सद्भावना प्रदान करना चाहते हैं, तो हमें इसका एक मॉडल बनाने की जरूरत है। राम मंदिर के निर्माण के बाद, कुछ लोगों को लगता है कि वे नयी जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने ये भी कहा था कि अब देश संविधान के अनुसार चलता है। इस व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, जो सरकार चलाते हैं। अधिपत्य के दिन चले गए।

मोहन भागवत ने कहा था कि अगर सभी खुद को भारतीय मानते हैं तो ‘‘वर्चस्व की भाषा’’ का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है। संघ प्रमुख भागवत ने कहा, ‘‘कौन अल्पसंख्यक है और कौन बहुसंख्यक? यहां सभी समान हैं। इस देश की परंपरा है कि सभी अपनी-अपनी पूजा पद्धति का पालन कर सकते हैं। आवश्यकता केवल सद्भावना से रहने और नियमों और कानूनों का पालन करने की है।’’ 

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