‘पिता के हैंडीक्राफ्ट बिजनेस ने परिवार की स्थिति को संभाला’: करण जौहर बोले- लगातार फिल्में फ्लॉप हो रही थीं, कभी भी सड़क पर आ सकते थे

‘पिता के हैंडीक्राफ्ट बिजनेस ने परिवार की स्थिति को संभाला’:  करण जौहर बोले- लगातार फिल्में फ्लॉप हो रही थीं, कभी भी सड़क पर आ सकते थे

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31 मिनट पहले

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करण जौहर ने हाल ही में अपने पिता यश जौहर के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि फिल्म अग्निपथ (1990) की असफलता के बाद उन्हें काफी फाइनेंशियल क्राइसिस का सामना करना पड़ा, जिसका असर उनके पिता पर बहुत गहरा पड़ा था। हालांकि, पिता के हैंडीक्राफ्ट बिजनेस ने जैसे-तैसे परिवार की स्थिति को संभाला था।

कोमल नाहटा के साथ बातचीत में करण जौहर ने अपने पिता के हैंडीक्राफ्ट बिजनेस के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि जब धर्मा प्रोडक्शन्स मुश्किलों में था। लगातार फिल्में फ्लॉप हो रही थीं, जिस कारण हम कभी भी बेघर हो सकते थे। लेकिन उसी वक्त मेरे पिता के हैंडीक्राफ्ट बिजनेस ने परिवार की स्थिति को संभाला। हालांकि, व्यापार बहुत ज्यादा मुनाफे वाला नहीं था, फिर भी वह हमारा कवच बना।

करण जौहर ने कहा, ‘दुनिया (1984), मुकद्दर का फैसला (1987) और अग्निपथ (1990) बड़े बजट की फिल्में थीं। इन फिल्मों में हीरो और निर्देशक दोनों ही बड़े नाम थे। लेकिन जब अग्निपथ फ्लॉप हुई, तो मेरे पिता सच में बहुत टूट गए थे। उन्हें विश्वास था कि यह फिल्म उन्हें उस स्तर तक पहुंचाएगी, जहां वह पहुंचने की ख्वाहिश रखते थे।’

पिता यश जौहर के साथ करण जौहर।

पिता यश जौहर के साथ करण जौहर।

करण जौहर की मानें तो 1993 में फिल्म गुमराह रिलीज हुई, जो बस ठीक रही। लेकिन 1998 में आई फिल्म डुप्लीकेट फ्लॉप हो गई। हालांकि, उसी साल आई फिल्म कुछ कुछ होता है सुपरहिट साबित हुई। इस फिल्म ने न सिर्फ सभी स्टार्स के करियर को एक मुकाम दिया, बल्कि वह उस दौर की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्मों में से एक भी बन गई।

डायरेक्शन की दुनिया में कमाया नाम

करण ने 1998 में प्रदर्शित फिल्म ‘कुछ-कुछ होता है’ से डायरेक्शन की दुनिया में कदम रखा। शाहरुख खान, काजोल और रानी मुखर्जी स्टारर इस फिल्म ने उन्हें कामयाबी का स्वाद चखाया। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट स्क्रीनप्ले के फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया।

इसके बाद 2001 में उनके निर्देशन में बनी फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ और 2006 में ‘कभी अलविदा न कहना’ परदे पर आईं। ये फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर सफल रहीं। 2010 में उन्हें अपनी फिल्म ‘माय नेम इज़ खान’ के लिए दूसरी बार बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। ये सभी फिल्में उनके बैनर ‘धर्मा प्रोडक्शन’ के तहत बनीं।

बतौर प्रोड्यूसर भी छाए करण

2004 में अपने पिता यश जौहर के निधन के बाद करन ने धर्मा प्रोडक्शन की कमान अपने हाथों में संभाली। बतौर प्रोड्यूसर उनकी कई फिल्में दर्शकों के सामने आ चुकी हैं, जिनमें ‘कल हो ना हो’, ’दोस्ताना’, ’आई हेट लव स्टोरी’, ’अग्निपथ’ और ‘ये जवानी है दीवानी’ का नाम खासतौर पर शामिल है।

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