जूना अखाड़े ने शुरू की पंचकोशी परिक्रमा, जानें कितने दिनों तक चलेगी – India TV Hindi

जूना अखाड़े ने शुरू की पंचकोशी परिक्रमा, जानें कितने दिनों तक चलेगी – India TV Hindi

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महाकुंभ

Image Source : PTI
महाकुंभ

जूना अखाड़े के संन्यासियों ने 5 दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत कर दी है। सोमवार को अपने निर्धारित समय के मुताबिक जूना अखाड़े के अध्यक्ष हरि गिरी की अगुवाई में अखाड़े के साधुओं ने गंगा पूजन कर यह परिक्रमा शुरु की। यह परिक्रमा पूरे 5 दिनों तक चलेगी। इसके समापन पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें अखाड़े के सभी नागा साधुओं के साथ महामंडलेश्वर और आम लोगों के लिए भंडारा रहेगा।

कहां-कहां किए दर्शन

नागा साधुओं के पंच दशनाम जूना अखाड़े ने हर साल की तरह अपनी 5 दिवसीय पंचकोशी परिक्रमा की शुरुआत कर दी है, जो 24 जनवरी को खत्म होगी। जूना अखाड़े के अध्यक्ष हरि गिरि महराज ने गंगा पूजन कर इस परिक्रमा की शुरुआत की। यात्रा की शुरुआत संगम तट से हुई, साधुओं पहले अक्षय वट के दर्शन, सरस्वती कूप के दर्शन और फिर लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन किए।

इसके बाद ईष्ट देव भगवान दत्तात्रेय और मंदिर में स्थित शिवदत्त महाराज की समाधि के दर्शन किए गए। फिर रामघाट से होते हुए अखाड़ा त्रिवेणी मार्ग से यमुना तट पर स्थित मौजगिरी आश्रम पहुंची, यहां ईष्टदेव के पूजन करने के बाद सिद्धपीठ ललिता देवी और कल्याणी देवी के दर्शन किए। वहां से वनखंडी महादेव, कृष्णा नगर के रामजानकी मंदिर में पूजन कर दत्तात्रेय शिविर में विश्राम किए।

आगे कहां जाएगी यात्रा

यात्रा का अगला पड़ाव शूल टंकेश्वर महादेव, आदि माधव, चक्रमाधवों के दर्शन के लिए जाएगा। इसके साथ ही परंपरा अनुरूप यात्रा द्वादश माधवों और द्वादश महादेवों के दर्शन करेगी। इसके बाद संतों दुर्वासा ऋषि, पनास ऋषि की तपोस्थलियों से होते हुए, शक्तिधाम ज्वाला देवी, समुद्र कूप और कल्पवृक्ष का दर्शन को जाएगी। पंचकोसीय परिक्रमा कष्ट हरण हनुमान जी, सुजावन देव, पडिला महादेव होते हुए श्रृंगवेरपुर में सीता कुण्ड और निषादराज स्थली जाएंगे। चौथे दिन नाग वासुकी, वेणी माधव का दर्शन कर अलोप शंकरी देवी की पूजा की जाएगा। वहीं, पांचवें व अंतिम दिन में यह यात्रा भारद्वाज ऋषि की प्रतिमा का जलाभिषेक कर, भारद्वाजेश्वर महादेव की पूजा करेगी। इसके बाद साधुओं के संगम स्नान के बाद भण्डारे में महाप्रसाद वितरण के साथ यह यात्रा खत्म होगी।

क्यों जरूरी है यह यात्रा?

अखाड़े की यात्रा का उद्देश्य प्रयाग में तीर्थों, घाटों और उपतीर्थों की यात्रा करना है। अखाड़े का मानना है कि पंचकोशी यात्रा से आत्मिक शुद्धि होती है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्त होती है।



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