गुइलेन बैरे सिंड्रोम, रहस्यमयी बीमारी से पश्चिम बंगाल में किशोर की मौत – India TV Hindi

गुइलेन बैरे सिंड्रोम, रहस्यमयी बीमारी से पश्चिम बंगाल में किशोर की मौत – India TV Hindi

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पश्चिम बंगाल में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से किशोर की मौत

Image Source : FILE PHOTO
पश्चिम बंगाल में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से किशोर की मौत

पश्चिम बंगाल में गुइलेन बर्रे सिंड्रोम से एक किशोर की मौत हो गई है। उत्तर 24 परगना जिले के आम डांगा निवासी 17 वर्षीय अरित्रा मंडल की 27 तारीख को इस रहस्यमयी बीमारी से मौत हो गई। वह कई दिनों से गुइलेन बर्रे सिंड्रोम से पीड़ित था। उसे 23 जनवरी को नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण गुइलेन बर्रे सिंड्रोम बताया गया है।

महाराष्ट्र के पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम नामक इस बीमारी के कारण एक शख्स की मौत हो चुकी है और इस रहस्यमयी बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। अब पश्चिम बंगाल में एक किशोर की मौत से हर कोई इस  खौफ में हैं। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में विशेषज्ञों की सात सदस्यीय टीम तैनात की है।

पुणे में चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे में एक 41 साल के चार्टर्ड अकाउंटेंट की पहली मौत गुलियन-बैरे सिंड्रोम से हुई है। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि 25 जनवरी को  गुलियन-बैरे सिंड्रोम से (GBS) के  प्रकोप से चार्टर्ड अकाउंटेंट की पहली मौत हुई है।  

क्या है गुलियन-बैरे सिंड्रोम?




गुलियन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है। हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं। गुलियन-बैरे सिंड्रोम  एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। इस स्थिति से कमज़ोरी, सुन्नता और गंभीर मामलों में पक्षाघात हो सकता है। हालाँकि GBS किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसका सटीक कारण अज्ञात है.

गुलियन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण

इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर अचानक दिखाई देते हैं और कुछ दिनों या हफ़्तों में तेज़ी से बढ़ सकते हैं। आम लक्षणों में कमज़ोरी और झुनझुनी शामिल है जो अक्सर पैरों से शुरू होती है और हाथों और चेहरे तक फैल सकती है। इससे पीड़ित लोगों को चलने में भी कठिनाई होती है। अनियमित हृदय गति, रक्तचाप में उतार-चढ़ाव और गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई, जिसकी गंभीर अवस्‍था में पक्षाघात भी सकता है।

 

 

(पश्चिम बंगाल से ओंकार की रिपोर्ट)

 



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