केजरीवाल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के पक्ष में थे, लेकिन कैसे बिगड़ा मामला? – India TV Hindi

केजरीवाल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के पक्ष में थे, लेकिन कैसे बिगड़ा मामला?  – India TV Hindi


Image Source : PTI
अरविंद केजरीवाल और आदित्य ठाकरे की मुलाकात की तस्वीर

मुंबई: क्या अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के साथ मिलकर हरियाणा और दिल्ली का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे? लेकिन यह पूरा मामला कैसे बिगड़ गया? इसका खुलासा संजय राउत ने सामना में लिखे अपने लेख में किया है। उन्होंने दिल्ली में आदित्य ठाकरे और अरविंद केजरीवाल के बीच हुई बैठक में जो बातचीत हुई उसकी जानकारी सार्वजनिक की है। इसके मुताबिक केजरीवाल ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के साथ गठबंधन की पूरी कोशिश की लेकिन कांग्रेस की हठधर्मिता के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया।

आदित्य ठाकरे ने से बातचीत में अरविंद केजरीवाल ने जो जानकारी दी है वो कांग्रेस की गठबंधन संबंधित नीतियों को एक्सपोज करती है। आदित्य ठाकरे के साथ फिरोजशाह रोड स्थित आवास पर केजरीवाल की मुलाकात हुई थी। दिल्ली और हरियाणा को लेकर स्वयं अरविंद केजरीवाल ने जो जानकारी दी है वो कांग्रेस की गठबंधन संबंधित नीतियों को एक्सपोज करती है। आदित्य ठाकरे के साथ फिरोजशाह रोड स्थित आवास पर केजरीवाल की मुलाकात हुई। इस बातचीत में जब केजरीवाल से यह पूछा गया कि ‘‘अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन हुआ होता तो बेहतर होता। केजरीवाल ने गठबंधन होने नहीं दिया, ऐसा आक्षेप है।’’ इस पर केजरीवाल ने कहा, ‘‘नहीं, मैं पूरी तरह से कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के पक्ष में था।” 

राघव चड्ढा ने की थी कांग्रेस नेतृत्व से बात

केजरीवाल ने वजह बताते हुए कहा. ‘‘जब मैं जेल में था तब हरियाणा में चुनाव हुए थे। राघव चड्ढा हरियाणा का काम देख रहे थे। वे मुझसे जेल में मिलने आए थे। मैंने उनसे कहा, हमें कांग्रेस के साथ गठबंधन करना ही होगा। आप सीटों का बंटवारा तय करें।’’ केजरीवाल ने आगे कहा, ‘‘कांग्रेस ने हमसे एक सूची मांगी। हमने 14 निर्वाचन क्षेत्रों की सूची दी। राहुल गांधी ने कहा, हम ‘आप’ को छह सीटें देंगे। मैंने राघव से कहा, कोई बात नहीं, छह सीटें ले लो। हम दो कदम पीछे आ गए। राहुल गांधी ने कहा, के. सी. वेणुगोपाल से मिलें। वह फाइनल करेंगे।”

कांग्रेस बीजेपी को नहीं, आप को हराना चाहती थी

इसके बाद केजरीवाल ने आगे बताया,  “राघव चड्ढा ने के. सी. वेणुगोपाल से मुलाकात की। उन्होंने कहा, छह सीटें संभव नहीं हैं। हम चार सीट देंगे। आप हमारे हरियाणा प्रभारी बावरिया से मिलें। चड्ढा मुझसे जेल में मिलने आए। मैंने कहा, ठीक है। चार सीटें ले लो। चड्ढा बावरिया से मिलने गए तब उन्होंने चार का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया। वे बोले, हम आपको दो ही सीटें देंगे। मैंने फिर चड्ढा को संदेश भेजा। ठीक है। दो सीटें ले लो। राहुल गांधी बॉस हैं और उनके वचन देने के बावजूद हमें छह सीटें नहीं मिलीं। चार से दो पर आ गए। उन दो सीटों के लिए राघव चड्ढा ने आखिरकार भूपेंद्र हुड्डा से मुलाकात की। फिर उन्होंने भाजपा के गढ़ वाले इलाके में हमें दो सीटें ऑफर कीं। यह कांग्रेस की ‘गठबंधन’ धर्म की व्याख्या है। हम क्या करेंगे? ऐसा हुआ हरियाणा में। दिल्ली में भी कुछ अलग नहीं हुआ। वे भाजपा को हराना नहीं चाहते थे। वे मोदी विरोधी केजरीवाल को हराना चाहते थे। ये सब कहते वक्त केजरीवाल की व्यथा उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी।

Latest India News





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Skip to content